ऑनलाइन वेबसीरीज पर मचा बवाल, हाई कोर्ट में पहुँची दरकार।

ऑनलाइन वेबसीरीज पर मचा बवाल, हाई कोर्ट में पहुँची दरकार।

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आज के समय में कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर हर रोज नई नई वेबसीरीज रिलीज हो रही हैं। जिन पर सेंसर बोर्ड का कोई दखल नहीं। ऐसे में इन वेबसीरीज में न्यूडिटी की भरमार है।

ऐसी बेवसीरीज को सेंसर बोर्ड के अधीन लाने जैसी कुछ मांगों के साथ एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई है, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केन्द्र सरकार को नोटिस भेजा है।

हाल ही के दिनों में भारत की पब्लिक को एंटरटेनमेंट का एक नया माध्यम सुलभ हुआ है, एप बेस्ड सिनेमा। नेटफ्लिक्स, अमेजन, जी5, ईरोस नाउ जैसे तमाम ऐसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स लांच हो गए हैं, जिन पर सेंसर बोर्ड का कोई दखल नहीं।

ठीक उसी तरह जैसे गूगल पर आप कुछ भी देख सकते हैं, यहां तक पोर्न फिल्में भी। लेकिन इन प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध फिल्में या वेबसीरीज सेमी पोर्न हैं, उनमें कई कई न्यूड सींस हैं और गालियों की भरमार भी और पॉलटिकल सेंसेटिव भी लेकिन उन्हें किसी भी तरह के सेंसर बोर्ड में पास करवाने के लिए चक्कर नहीं लगाने पड़ते।

आपको जो मन हो, जितना मन हो खुद सेंसर करो और पब्लिक को परोस दो। चूंकि मोबाइल में उपलब्ध है, तो कोई गेटकीपर भी आपसे नहीं पूछेगा कि आपकी उम्र क्या है।

ऐसे में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर डिवीजन बेंच में एक वकील दिव्या गणेश प्रसाद गोंतिया ने ऐसी बेवसीरीज को सेंसर बोर्ड के अधीन लाने जैसी कुछ मांगों के साथ एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की है, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केन्द्र सरकार को नोटिस भेजा ह।

हाल ही में कुछ फिल्मों और वेबसीरीज भारत की ओरिजनल सीरीज के तौर पर इन प्लेटफॉर्म्स पर रिलीज हुईं। जैसे नेटफ्लिक्स पर लस्ट स्टोरीज आई, जिसमें करण जौहर, अनुराग कश्यप, जोया अख्तर आदि डायरेक्टर्स ने मिलकर महिलाओं की सैक्सुअल फतांसी पर आधारित चार कहानियों को जोड़कर एक मूवी रिलीज की।

तो नेटफ्लिक्स पर ही अनुराग कश्यप और विक्रमादित्य मोटवाने की सेक्रेड गेम्स का पहला सीजन रिलीज हुआ। उस मूवी में कम से कम तीन सीन ऐसे हैं, जहां लड़कियों को टॉपलेस सींस में दिखाया गया।

गालियों की तो जमकर भरमार थी। उस पर राजीव गाधी के लिए भी नवाजुद्दीन सिद्दीकी का डॉन किरदार गणेश गायतुंडे अपशब्द इस्तेमाल करता है।

उसके बाद सनी लियोनी की बायोपिक करेनजीत सिंह कौर, अनटोल्ड स्टोरी ऑफ सनी लियोनी का पहला सीजन जी5 पर रिलीज हुआ और उसके बाद दूसरा भी। पहले सीजन में तो वल्गर सीन उतने नहीं थे, लेकिन दूसरे सीजन में मिलते हैं।

हाल ही में ईरोस नाउ पर रोहन सिप्पी निर्देशित साइड हीरो सीरीज में गौहर खान जमकर गालियां देते नजर आ रही हैं। ऐसे में ये तो इंडियन ओरिजनल हैं, विदेशी फिल्मों की भी ऐसे इंटरनेट प्लेटफॉर्म्स पर भरमार हैं।

कल को ये भी हो सकता है कि धार्मिक मुद्दों पर भी ऐसे कमेंट इन सीरीज में किए जाएं जिससे माहौल खराब हो, ये अलग बात है कि इंटरनेट की दुनियां में कोई भी बंधनों को नहीं मानता, एआईबी के रोस्ट वीडियोज इनका उदाहरण हैं। धीरे धीरे एक तबका इन सब बंधनों को मानने से इनकार कर रहा है।

दिव्या की पिटीशन पर हाईकोर्ट बेंच ने सरकार के कई मंत्रालयों को नोटिस भेजा है, जिसमें मिनिस्ट्री ऑफ इनफॉरमेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग, मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रोनिक्स एंड इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी, मिनिस्ट्री ऑफ लॉ एंड जस्टिस, मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स और साथ में नागपुर के पुलिस कमिश्नर को भी। इस नोटिस का जवाब 31 अक्टूबर तक भेजने को कहा गया है।

इस पिटीशन में कई वेबसीरीज या शोज के उदाहरण देते हुए कई मांगें की गई हैं, जैसे इन सब सीरीज के निर्मातओं के खिलाफ कानूनी एक्शन लिया जाए, भारतीय इंटरनेट प्लेटफॉर्म्स पर रिलीज होने वाली किसी भी इंडियन या इंटरनेशनल वेब सीरीज को रिलीज होने से पहले स्क्रीनिंग कमेटी को दिखाया जाए, ऐसी स्क्रीनिंग के लिए पॉलिसी बनाई जाए आदि।

पीआईएल में मांग की गई है कि ऐसे निर्माताओं के खिलाफ ना केवल आईटी एक्ट के तहत बल्कि सिनेमेटोग्राफ एक्ट के तहत भी कार्यवाही की जाए।

साफ है कि अरसे से ये मांग उठ रही थी, लोगों में कोतुहल भी था कि ऐसी वेबसीरीज में क्या कोई कुछ भी दिखा सकता है, यानी पूरा फैसला डायरेक्टर के विवेक पर छोड़ दिया गया था।

सरकार भी इस मुद्दे पर कुछ भी कहने से बच रही थी क्योंकि कोई भी रूढिवादी होने का आरोप लगा सकता है। ऐसे में हाईकोर्ट का इस पीआईएल को सुनवाई योग्य पाना और उस पर सरकार को नोटिस भेजकर जवाब मांगना कल को बेबसीरीज में मोटा इन्वेस्टमेंट के लिए कमर कस चुके निर्माताओं और इंटरनेट प्लेटफॉर्म प्रोवाइडर्स के लिए भारी पड़ सकता है।

वहीं कला को किसी भी तरह के बंधन से मुक्त रखने के लिए लड़ रहे लोगों की नजर भी इस पूरे केस पर अब रहेगी कि क्या पता कल को वेबसीरीज या वेबशोज पर भी कोई सेंसर बोर्ड बैठा दिया जाए।