करिए अपने पैसे को दोगुना, बिना किसी टैक्स के, इस तरीके से।

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पीपीएफ अकाउंट में किए गए निवेश पर निवेश के दौरान टैक्स डिडिक्शन क्लेम किया जा सकता है, प्रिसिंपल अमाउंट पर मिला ब्याज भी टैक्स छूट के दायरे में आता है।

एसेट्स और कस्टमर्स के लिहाज से देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) अन्य निवेश विकल्पों (टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट और रेकरिंग डिपॉजिट) के साथ ही पब्लिक प्रोविडेंट फंड अकाउंट खोलने की सुविधा भी देता है।

पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) में किया गया निवेश ईईई कैटेगरी में आता है। पीपीएफ अकाउंट को अन्य परंपरागत निवेश विकल्पों की तुलना में बेहतर माना जाता है क्योंकि ये टैक्स सेविंग की सुविधा देते हैं।

ठीक उसी तरह जैसी सुविधाएं फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी), इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) और नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (एनएससी) में मिलती है।

पीपीएफ अकाउंट में किए गए निवेश पर निवेश के दौरान टैक्स डिडिक्शन क्लेम किया जा सकता है, प्रिसिंपल अमाउंट पर मिला ब्याज भी टैक्स छूट के दायरे में आता है और मैच्योरिटी के वक्त मिलने वाली कुल राशि भी टैक्स फ्री होती है।

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के साथ कोई भी व्यक्ति अपने नाम पर और नाबालिग के नाम पर पीपीएफ खाता खुलवा सकता है। एसबीआई के मुताबिक हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली के नाम पर पीपीएफ खाता नहीं खुलवाया जा सकता है।

एसबीआई पीपीएफ अकाउंट में निवेश और ब्याज: इस खाते में न्यूनतम निवेश 500 रुपये का और अधिकतम निवेश 1.5 लाख रुपये का हो सकता है। यह निवेश या तो एकमुश्त या फिर एक वर्ष के दौरान 12 किश्तों में किया जा सकता है।

एसबीआई ने बताया कि सब्सक्राइबर्स एक वर्ष के दौरान 1,50,000 रुपये से ज्यादा का निवेश नहीं कर सकते हैं। इससे ऊपर के निवेश पर आपको न तो ब्याज मिलेगा और न ही आप इस पर टैक्स छूट का फायदा उठा पाएंगे। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के मुताबिक वर्तमान में पीपीएफ जमा पर मिलने वाली ब्याज दर 5 फीसद की है।

पीपीएफ अकाउंट पर मिलने वाले ब्याज की गणना महीने के पांचवें दिन और आखिरी दिन के बैलेंस के आधार पर की जाती है, इसका भुगतान हर वर्ष 31 मार्च को किया जाता है।

एसबीआई पीपीएफ टैक्स सेविंग बेनिफिट्स और निवेश की अवधि: पीपीएफ में किए गए निवेश पर कोई भी व्यक्ति आयकर की धारा 88 के अंतर्गत टैक्स बेनिफिट्स क्लेम कर सकता है। ब्याज आय पूरी तरह से इनकम टैक्स छूट के दायरे में आती है।

इसके अलावा, क्रेडिट के लिए बकाया राशि भी पूरी तरह से वेल्थ टैक्स के छूट के दायरे में आती है। पीपीएफ निवेश में 15 वर्ष का लॉक इन पीरियड होता है, हालांकि इसमें पांच अन्य वर्षों के लिए विस्तार भी दिया जा सकता है।

पीपीएफ अकाउंट पर लोन और निकासी की सुविधा: निर्दिष्ट दिशानिर्देशों के मुताबिक पीपीएफ अकाउंट में जमा राशि पर लोन की भी सुविधा मिलती है। वहीं इस खाते से निकासी की सुविधा खाते की उम्र और बैलेंस के आधार पर तय होती है।

नॉमिनेशन और ट्रांसफर की सुविधा: इसमें एक या अधिक व्यक्तियों के नाम नॉमिनेशन में देने की सुविधा मिलती है। सब्सक्राइबर्स की ओर से नॉमिनी की हिस्सेदारी भी तय की जा सकती है। पीपीएफ अकाउंट को एक ब्रांच से दूसरी ब्रांच में ट्रांसफर किया जा सकता है।

पीपीएफ अकाउंट से मैच्योरिटी पूर्व निकासी: पीपीएफ अकाउंट से मैच्योरिटी पूर्व निकासी की भी सुविधा मिलती है लेकिन कुछ शर्तों के साथ। इसके लिए खाते का पांच वर्ष का होना जरूरी है और यह शर्त नाबालिग के नाम पर खोले गए खाते में भी शामिल है।

इस खाते में से राशि कुछ ही शर्तों पर निकासी जा सकती है जैसे कि गंभीर बीमारी का इलाज, खाताधारक, पति/पत्नी, आश्रित बच्चे या माता-पिता को हुई जानलेवा बीमारी के इलाज के लिए।