जानिए चुनाव और भैंस का रिश्‍ता।

जानिए चुनाव और भैंस का रिश्‍ता।

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जानिए चुनाव और भैंस का रिश्‍ता

सज-संवारकर भैस पर बैठकर नामांकन करने पहुंचा निर्दलीय उम्‍मीदवार ।

बिहार विधानसभा चुनाव (Assembly Poll) में प्रचार के लिए उम्‍मीदवार अनोखे और अजब-गजब तौर-तरीके अपनाते रहे हैं। चुनाव प्रचार में भैंसों का भी उम्‍मीदवार खूब प्रयोग करते हैं। सिर्फ चुनाव प्रचार ही नहीं भोजपुरी फिल्‍मों में भी हीरो भैंस की पीठ पर बैठकर गाना गाते हैं। दरअसल, प्रत्‍याशी ग्रामीण इलाकों से अपना जुड़ाव दर्शाने के लिए और खुद की ‘ ठेठ बिहारी’ की इमेज दिखाने के लिए भी चुनाव प्रचार में भैंस का प्रयोग करते हैं।

लालू यादव का भी था भैंस से जुड़ाव
बिहार में लालू प्रसाद यादव की लोकप्रियता में भैंस का भी खासी भूमिका है। दरअसल, लालू बेहद गरीब यादव परिवार से थे। गांवों में ऐसे परिवारों के जीवकोपार्जन का साधन पशुपालन होता है। पहले एेसे परिवारों के बच्‍चे स्‍कूल ना जाकर पशुओं को चराने का काम करते थे। यह भी एक कारण था कि लालू यादव ने बिहार में चरवाहा विद्यालय की शुरुआत की थी। ताकि बच्‍चे काम के साथ पढ़ाई भी कर लें। बिहार के लोकप्रिय नेता लालू प्रसाद यादव ने एक बार चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि देखिए, बचपन मैं भैंसों की पीठ पर सवारी करता था। अब पूर्व मुख्‍यमंत्री जगन्‍नाथ मिश्रा ने हेलिकॉप्‍टर खरीदा है और मैं हेलीकॉप्‍टर पर चढ़ता हूं। भोजपुरी फिल्‍मों के सुपर स्‍टार दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ के ग्रामीण जुड़ाव को दिखाने के लिए भी उनके भैंस की पीठ पर बैठकर गाना गाने की बात खूब चर्चा में रही।

उम्‍मीदवार की भैंस की सवारी देखने उमड़े लोग
छह अक्‍टूबर, मंगलवार को पालीगंज विधान सभा क्षेत्र में भी कुछ ऐसा ही हुआ। एक निर्दलीय उम्‍मीदवार भैंस पर बैठकर अपना नामांकन करने पहुंचा। फिर क्‍या थी उसे देखने के लिए उसके चारों ओर भीड़ लग गई। लोग उम्‍मीदवार के अजब-गजब वेश और सजी-सजाई भैंस को देखकर खूब मजे लेते रहे। पालीगंज विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में कपिल गोप भैंस पर सवार होकर आए और अपना नामांकन दाखिल किया। इस दौरान कपिल गोप को देखने के लिए भारी भीड़ जुटी रही।

जमुई में महात्‍मा गांधी का वेश और चुनाव प्रचार भैंस पर
इसी तरह, जमुई के झाझा विधानसभा क्षेत्र के खैरन गांव में भी सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने वाले सूर्या वत्स भैंस पर सवार होकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं। सूर्या वत्स सालों भर महात्मा गांधी की तरह एक धोती पहनते और एक ओढ़ते हैं। कहते हैं कि भारतीय संस्कृति के साथ-साथ महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज के सपनों को जीवंत बनाए रखना ही उनके लिबास का मुख्य उद्देश्य है। फिलहाल झाझा के चुनाव मैदान में निर्दलीय उतरने की इनकी तैयारी है। 35 वर्षीय सूर्या वत्स ने 10 साल पूर्व समाजसेवा का प्रण लेकर यह लिबास धारण किया था। 2015 के विधानसभा चुनाव में इन्हें 3500 वोट मिले थे।