पूर्व आरबीआई गवर्नर का बयान,सरकार के हर सवाल जवाब के लिए तैयार...

पूर्व आरबीआई गवर्नर का बयान,सरकार के हर सवाल जवाब के लिए तैयार है आरबीआई।

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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लिए रिजर्व पूंजी की सीमा तय किए जाने के लिए गठित विशेषज्ञों की समिति की अध्यक्षता कर रहे पूर्व गवर्नर विमल जालान ने कहा है कि केंद्रीय बैंक की जवाबदेही सरकार के प्रति बनती है और इसे सरकार के तय मानकों के मुताबिक ही नीतियां बनानी चाहिए।

सरकार को ट्रांसफर किए जाने वाले रिजर्व की सीमा को लेकर विवाद के बीच आरबीआई के पूर्व गवर्नर ऊर्जित पटेल ने 10 दिसंबर 2018 को इस्तीफा दे दिया था।

इसके बाद सरकार ने पूर्व नौकरशाह और वित्त मंत्रालय में काम कर चुके शक्तिकांत दास को नया गवर्नर नियुक्त किया था।

आरबीआई के मुनाफे का कितना हिस्सा सरकार को ट्रांसफर किया जाए, इसे लेकर सरकार के साथ विवाद था। आरबीआई बॉन्ड और करेंसी में होने वाले ट्रेडिंग से मुनाफा कमाता है। साथ ही इस बात को लेकर विवाद था कि आरबीआई के पास कितनी सुरक्षित पूंजी होनी चाहिए।

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के साथ बातचीत में जालान ने समिति की सिफारिशों के बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। हालांकि उन्होंने बैंक और सरकार के बीच के संबंधों को लेकर अपनी राय जरूर रखी। जालान 1997 से 2003 के बीच तक केंद्रीय बैंक के गवर्नर थे।

आरबीआई के लिए इकॉनमिक कैपिटल फ्रेमवर्क को तय करने के लिए गठित छह सदस्यीय समिति का चेयरमैन बनाए जाने के बाद पहले इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, ‘घोषित की जाने वाली मौद्रिक नीति को लागू करने के लिए आरबीआई, सरकार के प्रति जवाबदे है।’ उन्होंने कहा, ’सरकार और स्वायत्त संस्थाओं के बीच मतभेद हो सकता है।’

जालान ने उम्मीद जताई कि नए नेतृत्व में सरकार और आरबीआई के बीच विवाद का समाधान हो जाएगा। उन्होंने कहा, ‘अब आरबीआई नए गवर्नर के अधीन है।

मुझे उम्मीद है कि आरबीआई उनके नेतृत्व में काम करेगा। विचारों में भिन्नता जरूरी है लेकिन देश के हित में इसे आंतरिक रूप से सुलझाना होगा।’

गौरतलब है कि गवर्नर का पद संभालने के तत्काल बाद दास ने कहा था कि वह नीतिगत मुद्दों पर सरकार के साथ मिलकर काम करेंगे। माना जा रहा है कि केंद्रीय बैंक मार्च अंत तक सरकार को 40,000 रुपये का अंतरिम लाभांश ट्रांसफर कर सकता है।

सरकार बैंकों के लिए लागू पीसीए (प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन) में भी नरमी चाहती है। इस प्रावधान की वजह से 11 सरकारी बैंकों के कर्ज देने पर रोक लगी हुई है।