पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम भ्रष्टाचार के मामले में फसे, सीबीआई ने कसा...

पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम भ्रष्टाचार के मामले में फसे, सीबीआई ने कसा शिकंजा।

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एयरसेल मैक्सिस डील घोटाले में पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम आरोपी नंबर-वन बन गए हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने घोटाले में पूरक आरोपपत्र दाखिल किया है। जिसमें आरोपियों की सूची में पी चिदंबरम का नाम सबसे ऊपर है।

चिदंबरम पर एयरसेल मैक्सिस डील में नियमों की अनदेखी कर एफआइपीबी क्लीयरेंस देने का आरोप है। इसके एवज में उनके बेटे कार्ति चिदंबरम से जुड़ी कंपनी में गई 1.16 करोड़ रुपये की रिश्वत की रकम को ईडी पहले ही जब्त कर चुका है।

एयरसेल मैक्सिस डील घोटाले में मनी लांड्रिंग को लेकर ईडी ने जून में आरोपपत्र दाखिल कर दिया था, जिसमें कार्ति चिदंबरम को आरोपी बनाया गया था।

ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नए तथ्यों के सामने के बाद घोटाले में पी चिदंबरम की सीधी भूमिका पुख्ता सबूत मिले हैं। इसके बाद एजेंसी ने पूरक आरोपपत्र दाखिल करने का फैसला किया।

पी चिदंबरम के अलावा नौ लोगों व कंपनियों को भी आरोपी बनाया गया है। ईडी के आरोपपत्र के अनुसार 2006 में पी चिदंबरम ने नियमों का उल्लंघन एयरसेल में मैक्सिस के विदेशी निवेश को मंजूरी दी थी।

वित्तमंत्री के रूप में पी चिदंबरम केवल 600 करोड़ रुपये तक के विदेशी निवेश का एफआइपीबी क्लीयरेंस दे सकते थे। लेकिन मैक्सिस ने अपनी मारिशस की सबसिडियरी व अन्य कंपनियों के मार्फत एयरसेल में कुल 3560 करोड़ रुपये का निवेश कर दिया। इस तरह से परोक्ष रूप से मैक्सिस ने एयरसेल में 100 फीसदी का निवेश कर दिया था।

मैक्सिस ने मलेशिया स्टॉक एक्सचेंज में दाखिल अपनी रिपोर्ट में खुद इसे स्वीकार किया था। एफआइपीबी के तत्कालीन अधिकारियों से पूछताछ के बाद साफ हुआ कि पी चिदंबरम के कहने पर मैक्सिस को क्लीयरेंस की दी गई थी।

आरोप है कि एयरसेल-मैक्सिस डील के लिए एफआइपीबी क्लीयरेंस कराने में कार्ति चिदंबरम ने बिचौलिये की भूमिका निभाई थी। जांच एजेंसियों की निगाह से बचने के लिए इस रकम को उन कंपनियों में लिया गया, जिनमें सीधे तौर पर भले ही कार्ति चिदंबरम का नाम नहीं था, लेकिन परोक्ष रुप से उनपर कार्ति का नियंत्रण था।

अडवांटेज स्ट्रेटेजिक कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड ने मैनेजमेंट कंसल्टेंसी सर्विसेज के नाम पर एयरसेल से 29 मार्च, 2006 को 27.55 लाख रुपये हासिल किए थे।

यह कंपनी चिदंबरम परिवार के वित्तीय मामलों को संभालने वाले एस. भास्करन के नेतृत्व में काम करती थी। इस कंपनी के पास कंसल्टेंसी देने के लिए प्रशिक्षित विशेषज्ञ ही नहीं थे और न ही कोई कंसल्टेंसी एयरसेल को दी गई थी।