सूत्र : भगोड़ा घोषित विजय माल्या भारत लाया जा सकता है,कोशिशें हुई...

सूत्र : भगोड़ा घोषित विजय माल्या भारत लाया जा सकता है,कोशिशें हुई तेज़।

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भगोड़े विजय माल्या को ब्रिटेन से भारत लाए जाने की उम्मीद बढ़ी, प्रत्यर्पण के खिलाफ अर्जी खारिज।

इससे पहले भारतीय एजेंसियां लगातार इस मामले पर ब्रिटेन की सरकार पर जबरदस्त दबाव बनाए हुई थीं। सीबीआइ और ईडी ने अदालत में उसके खिलाफ सभी सबूत मजबूती से रखे थे।

भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या (Vijay Mallya) को ब्रिटेन की कोर्ट ने झटका दिया है। अदालत ने प्रत्यर्पण के खिलाफ अर्जी को खारिज कर दिया गया है। इस लिहाज से अब माल्या के भारत आने की संभावना बढ़ गई है।

इससे पहले भारतीय एजेंसियां लगातार इस मामले पर ब्रिटेन की सरकार पर जबरदस्त दबाव बनाए हुई थीं। सीबीआइ और ईडी ने अदालत में उसके खिलाफ सभी सबूत मजबूती से रखे थे।

इससे पहले विजय माल्या ने पब्लिक सेक्टर बैंक पर निशाना साधा था। फरार शराब कारोबारी विजय माल्या ने ट्विट कर लिखा था कि, ‘अभी तक मेरी ब्रांडिंग ऐसे चोर की बना दी है जो पीएसयू बैंकों का पैसा लेकर भाग गया।

बैंकों ने अपने पैसे की रिकवरी आज और पहले भी काफी कर ली है। ये सभी मेरे सेटलमेंट प्रस्ताव में भी शामिल था। आप चाहें कुछ भी करें लेकिन आपको गलत ही कहा जाएगा। मेरे साथ ऐसा ही बर्ताव हुआ है।’

बीते फरवरी में ब्रिटेन के गृह मंत्री ने शराब कारोबारी विजय माल्या को भारत प्रत्यर्पित किये जाने का आदेश दिया था। इसके बाद से ही भारतीय एजेंसियां प्रत्‍यर्पण के लिए प्रयास कर रही हैं।

माल्या ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत गठित विशेष अदालत के फैसले को पिछले महीने चुनौती दी थी। पांच जनवरी के आदेश में विशेष अदालत ने एफईओ एक्ट के तहत माल्या को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया था।

कानून के तहत अगर किसी व्यक्ति को भगोड़ा घोषित कर दिया जाता है तो अभियोजन एजेंसी (प्रवर्तन निदेशालय) उसकी संपत्तियों को जब्त कर सकती है। इससे पहले माल्या के वकील अमित देसाई ने सुनवाई को कहा था कि संपत्तियों को जब्त करना बेहद कठोर कार्रवाई है।

यह समय बैंकों और कर्जदाताओं को राहत पहुंचाने का है। माल्या नहीं चाहते कि उनकी संपत्तियों को लौटाया जाए। उनका सिर्फ इतना कहना है कि सरकार द्वारा संपत्तियों को जब्त करने से बैंकों और कर्जदाताओं की समस्याओं का निराकरण नहीं होगा। बता दें कि विजय माल्‍या पर देश के विभिन्‍न बैंकों का लगभग साढ़े नौ हजार रुपये से अधिक का कर्ज है।