जम्मू कश्मीर में पत्थरबाजों को पकड़ने के लिए खोज निकाला एक नया...

जम्मू कश्मीर में पत्थरबाजों को पकड़ने के लिए खोज निकाला एक नया तरीका, मिली कामयाबी।

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घाटी में अशांति फैला रहे इन पत्थरबाजों से निपटने के लिए पुलिस खुद पत्थरबाज बन गई है। शुक्रवार को पत्थरबाजी की अगुवाई कर रहे दो पत्थरबाजों को धरा।

कश्मीर घाटी में पत्थरबाज सुरक्षाबलों के लिए बड़ी चुनौती बने हुए हैं, लेकिन अब जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इन पत्थरबाजों से निपटने का तोड़ निकाल लिया है।

पुलिसकर्मियों की इस नई तरकीब से पत्थरबाजों के बीच खलबली मची हुई है। दरअसल, घाटी में अशांति फैला रहे इन पत्थरबाजों से निपटने के लिए पुलिस खुद ‘पत्थरबाज’ बन गई है।

घाटी में पत्थरबाज सुरक्षाबलों के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। इस सिरदर्दी को खत्म करने के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अपने कुछ जवानों को इनसे निपटने के लिए तैयार किया है।

रणनीति के तरह ये जवान सुरक्षाबलों को निशाना बनाकर पत्थरबाजी कर रहे पत्थरबाजों के झुंड में भेष बदलकर शामिल हो जाएंगे। ताकि ये नकली पत्थरबाज (जवान) पथराव के पीछे के असली गुनाहगारों को गिरफ्तार किया जा सके।

शुक्रवार को जुमे की नमाज के दौरान भी जम्मू-कश्मीर पुलिस ने यही रणनीति अपनाई। शुक्रवार को कश्मीर में जुमे की नमाज के दौरान हमेशा की तरह इस बार भी पत्थरबाजों ने सुरक्षाबलों को निशाना बनाकर पत्थरबाजी शुरू की।

लेकिन इस बार रणनीति के तहत हिंसक प्रदर्शन के दौरान कुछ पुलिस कर्मी भेष बदलकर पत्थरबाजों की भीड़ में शामिल हो गए और पथराव कर रहे दो पत्थरबाजों को गिरफ्तार कर लिया। बताया जा रहा है कि यह दोनों पत्थरबाज भीड़ का नेतृत्व कर रहे थे।

पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, भीड़ में शामिल जवानों ने पथराव का नेतृत्व कर रहे पत्थरबाजों की पहचान कर ली और फिर तय रणनीति के तहस आंसू गैस का एक गोला दागा गया।

जिसके बाद भीड़ में छिपे पुलिसकर्मियों ने प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे दो पत्थरबाजों को गिरफ्तार कर लिया और उन्हें थाने ले गए।

बताया जा रहा है कि पुलिसकर्मियों ने वहां मौजूद पत्थरबाजों को डराने के लिए हाथ में नकली बंदूक भी ले रखी थी।

पुलिस ने बताया कि शुक्रवार को श्रीनगर में जुमे की नमाज के बाद भीड़ ने पुलिस और सीआरपीएफ कर्मियों पर पथराव करना शुरू कर दिया, हालांकि उनकी ओर से कोई जवाबी कार्रवाई नहीं की गई।

इस बीच न ही सुरक्षाकर्मियों ने पत्थरबाजों की भीड़ पर आंसू गैस के गोले छोड़े और न ही लाठीचार्ज किया। जो अमूमन पत्थरबाजों को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षाकर्मी करते हैं।

पुलिस की ये रणनीति रंग लगाई। उनकी इस तरकीब को देखकर वहां मौजूद लोग भौंचक्‍के रह गए और उन्हें तत्काल अपना प्रदर्शन भी खत्म करना पड़ा।

बता दें कि शुक्रवार को कश्मीर के कई इलाकों में हिंसक घटनाएं हुई। हर शुक्रवार की तरह 7 सितंबर को भी जुमे की नमाज के बाद पत्थरबाजों ने हंगामा शुरू कर दिया। इन प्रदर्शनों में 100 से अधिक लोग घायल हो गए।

बता दें कि इस तरह की रणनीति साल 2010 में अपनाई गई थी, जब पत्थरबाजों की पहचान और उनको गिरफ्तार करने के लिए भीड़ में कई पुलिसकर्मी शामिल हो गए थे।