भाजपा नेता मनोज तिवारी पर एक्शन ले सकता है सुप्रीम कोर्ट।

भाजपा नेता मनोज तिवारी पर एक्शन ले सकता है सुप्रीम कोर्ट।

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मॉनिटरिंग कमेटी का साफ कहना है कि सील तोड़ना कंटेप्ट ऑफ कोर्ट की श्रेणी में आता है। इस तरह का काम अगर नेता करते हैं तो वह और भी बड़ा मामला बन जाता है।

दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और नार्थ-ईस्ट दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी एक बार फिर से मीडिया की सुर्खियों में हैं। पिछले दिनों ही अपने संसदीय क्षेत्र के एक मकान की सीलिंग का ताला तोड़ते तिवारी का वीडियो सोशल साइट्स पर वायरल हुआ।

हालांकि मनोज तिवारी द्वारा यमुनापार में एक प्रॉपर्टी की सील तोड़े जाने पर सुप्रीम कोर्ट की मोनिटरिंग कमेटी नाराज हो गई है।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त मॉनिटरिंग कमेटी जल्द ही इस मामले की जांच कर सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करने वाली है।

मॉनिटरिंग कमेटी का साफ कहना है कि सील तोड़ना कंटेप्ट ऑफ कोर्ट की श्रेणी में आता है। इस तरह का काम अगर राजनेता करते हैं तो वह और भी बड़ा मामला बन जाता है।

बता दें कि दिल्ली में सीलिंग की मार से व्यापारी वर्ग पिछले 10 से भी ज्यादा महीने से परेशान चल रहा है। पिछले 10-12 महीनों में सीलिंग के मुद्दे पर चार बार दिल्ली बंद भी बुलाई गई।

सीलिंग के मुद्दे पर नेताओं के लगातार बयान भी आए, लेकिन नतीजा सुधरने के बजाए और बिगड़ने ही लगा। दिल्ली के एक इलाके से दूसरे इलाके में सीलिंग का खौफ व्यापारियों के सिर चढ़ कर बोल रहा है।

सीलिंग के मुद्दे पर राजनीतिक पार्टियों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर पिछले कई महीने से चल रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी ने काफी हद तक इस मुद्दे पर बीजेपी को घेर लिया है।

जहां अरविंद केजरीवाल व्यापारियों के साथ सीलिंग के विरोध में धरने पर बैठने की बात करते हैं वहीं शहरी विकास राज्य मंत्री(स्वतंत्र प्रभार) हरदीप सिंह पूरी के बयान से बीजेपी की नेक नियत पर सवाल भी उठाए जाते हैं।

आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का साफ कहना है कि सीलिंग को रोकने के लिए केंद्र सरकार ही अध्यादेश ला सकती है। जबकि, शहरी विकास राज्य मंत्री(स्वंतत्र प्रभार) हरदीप सिंह पूरी का इसी साल मार्च महीने में एक बयान सामने आया था कि इसका समाधान कड़वी दवा के रूप में ही सामने आएगा।

अगर दिल्ली को वर्ल्ड क्लास सिटी के कैटेगरी में शामिल करना है तो ऐसे कड़े फैसले लेने ही होंगे। इसके लिए भले ही विरोध ही क्यों न झेलना पड़े।’

दूसरी तरफ सीलिंग का ताला तोड़े जाने पर मनोज तिवारी कहते हैं, ‘अगर उस इलाके में एक हजार घर हैं तो एक घर सील्ड क्यों रहेगा। मैं ‘पिक एंड चूज’ सिस्टम के खिलाफ हूं। इसलिए मैंने ताला तोड़ दिया।’

मनोज तिवारी ने दावा किया कि ‘पिक एंड चूज’ यानी कुछ खास घरों या दुकानों को सील करना या तोड़फोड़ करने की नीति गलत है। बीजेपी सीलिंग के खिलाफ आवाज उठा रही है।

पहले कांग्रेस और अब अरविंद केजरीवाल दिल्ली के लोगों को सिलिंग के नाम पर भ्रमित कर रहे हैं। इलाके में इतने सारे घर हैं तो फिर एक घर में ताला कैसे लग सकता है।’

दिल्ली में सीलिंग के इन हालातों के लिए तीनों बड़ी राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे पर हमला बोलने से अब भी बाज नहीं आ रही हैं।

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने साफ कह दिया कि अगर मेरे हाथ में सीलिंग को बंद करने का अधिकार होता मैं एक दिन के अंदर ही यह काम कर देता, लेकिन बीजेपी जानबूझ कर दिल्ली में सीलिंग की कार्रवाई पर मौन बैठी है।

केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पूरी का बयान हो या फिर दिल्ली बीजेपी का कमजोर तरीके से उठाई गई आवाज बीजेपी को दिल्ली में बैकफुट पर ला दिया है।

यह पूरा मामला अब राजनीतिक रूप अख्तियार कर चुका है। आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए सभी राजनीतिक पार्टियां सीलिंग के मुद्दे को भुनाने में लग गई हैं।

मनोज तिवारी को लगता है कि कहीं न कहीं इसका नुकसान बीजेपी को ज्यादा हो रहा है, शायद इन्हीं चिंताओं को देखते हुए प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष फ्रंटफुट पर आकर बैटिंग करने का प्रयास कर रहे हैं।

दरअसल सीलिंग को लेकर विपक्षी पार्टियां बीजेपी पर लगातार हमला बोल रही हैं। इन पार्टियों का साफ कहना है कि दिल्ली में सीलिंग की स्थिति पनपने के लिए कहीं न कहीं बीजेपी ही जिम्मेदार है।

क्योंकि दिल्ली नगर निगम में पिछले 10-12 सालों से बीजेपी का ही कब्जा रहा है। ऐसे में अगर अवैध निर्माण या अतिक्रमण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया है तो उसका ठिकरा दिल्ली नगर निगम के सिर पर जाता है।

सीलिंग के मसले पर दिल्ली की तीनों बड़ी राजनीतिक पार्टियों को जनता के सामने जवाब देना मुश्किल होता जा रहा है। मामला वोटबैंक से जुड़ा हुआ है इसलिए सभी पार्टियां सीलिंग को जायज नहीं ठहरा रही हैं। लेकिन, कुछ अलग करने से भी बचना चाह रही है।

इन सबके बीच मनोज तिवारी द्वारा सीलिंग का ताला तोड़े जाने पर आम आदमी पार्टी ने भी बीजेपी पर निशाना साधा है। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘ये खुद ही सुबह सीलिंग करते हैं और शाम को ताला तोड़ देते हैं।

इन्हें क्या लगता है कि दिल्ली की जनता बेवकूफ है। नोटबंदी, जीएसटी और अब सीलिंग कर बीजेपी ने पूरी दिल्ली को बर्बाद कर दिया है।’

दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी ने भी सोमवार को सीलिंग को लेकर एक बैठक की। इस बैठक में सीलिंग को लेकर पार्टी की भावी रणनीति पर विचार किया गया।

कांग्रेस पार्टी का कहना है कि कांग्रेस पार्टी की दिल्ली में सीलिंग अभियान से घबराकर बीजेपी के नेता अब सील तोड़ने की नौटंकी करने में लगे हैं। सीएम अरविंद केजरीवाल भी सिर्फ ट्वीटर पर ही दुख प्रकट करते हुए दिखाई दे रहे हैं।

दिल्ली की राजनीति को करीब से समझने वाले एक पत्रकार कहते हैं, ‘मनोज तिवारी जब से राजनीति में आए हैं किसी न किसी वजह से चर्चा में बने रहना पसंद करते हैं। उनको भी अरविंद केजरीवाल स्टाइल में काम करने की लत लग गई है।

केजरीवाल ने भी बिजली के खंभे पर चढ़ कर कनेक्शन जोड़ने का काम किया था। ठीक उसी अंदाज में मनोज तिवारी सीलिंग का ताला तोड़ कर सुर्खियां बटोरना चाह रहे हैं।

पिछले साल ही एक कार्यक्रम के दौरान एक महिला टीचर ने मनोज तिवारी से गाने की फरमाइश की थी। इस फरमाइश को सुनते ही मनोज तिवारी उस महिला टीचर को काफी भला बुरा कह दिया।

इसी महीने 5 सितंबर को जब उसी महिला टीचर को शिक्षक दिवस पर सम्मानित करना था और वह भी मनोज तिवारी के हाथों तो तिवारी जी कार्यक्रम में ही नहीं पहुंचे।

पिछले दिनों ही विपक्षी पार्टियों ने दरियागंज में एक मकोका के आरोपी से मिलने पर मनोज तिवारी पर हमला बोला था।

मनोज तिवारी का मकोका के आरोपी से मिलना काफी महंगा पड़ा था। मनोज तिवारी केंद्र सरकार के चार वर्षों की उपलब्धियों पर जारी बुकलेट को इस बदमाश को देते नजर आए थे।

हालांकि, मनोज तिवारी ने साफ कहा था उस कार्यक्रम में वह व्यक्ति मौजूद था और वह उसे नहीं जानते थे। यह महज इत्तेफाक था, जिसको विपक्षी पार्टियों ने मुद्दा बना लिया।

बता दें कि केंद्र सरकार के चार साल पूरे होने के बाद बीजेपी के कई नेता संपर्क फॉर समर्थन अभियान चला कर लोगों को बुकलेट सौंप रहे हैं।

हाल ही में सलमान खान पर उनका दिया बयान हो या फिर रामलीला मैदान पर अन्ना हजारे का अनशन का मामला हो या फिर बनारस में मोदी अगर ड्राइवर हैं तो मनोज तिवारी खलासी जैसे कई बयान मनोज तिवारी को सुर्खियों में बनाए रखते है।

राजनीति में आने से पहले भी बिग बॉस में डॉली बिद्रा के द्वारा की गई नोंक-झोंक से चर्चा में आ चुके हैं। लेकिन सीलिंग का ताला तोड़ने पर सुप्रीम कोर्ट तिवारी पर सख्त रुख अख्तियार कर सकता है। सिलिंग का ताला तोड़ना सुप्रीम कोर्ट की आवमानना का मामला बन सकता है।