सावधानः भारत की आधी आबादी इस खतरे से हैं पूरी तरह से...

सावधानः भारत की आधी आबादी इस खतरे से हैं पूरी तरह से अनजान, जानें और बचें।

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भारत की आधी आबादी इस Silent Killer बीमारी से हैं अनजान; रहना होगा सावधान

मधुमेह से निपटने के लिए सबसे पहले इसके बारे में जानकारी होना जरूरी है लेकिन 47.5 फीसद लोगों को अपनी बीमारी के बारे में पता ही नहीं होता जिससे चलते उन्हें इलाज भी नहीं मिलता..

भारत में 15 से 49 आयु वर्ग के केवल आधे वयस्क अपनी डायबिटीज यानी मधुमेह की स्थिति के बारे में जानते हैं। इस बीमारी से ग्रस्त सिर्फ एक चौथाई लोगों को इलाज मिल पाता है और उनकी रक्त शर्करा नियंत्रण में रहती है। एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है।

मधुमेह से निपटने के लिए सबसे पहले लोगों को इसके बारे में जानकारी होना जरूरी है। लेकिन, इससे ग्रस्त 47.5 फीसद लोगों को अपनी बीमारी के बारे में पता ही नहीं होता। इस कारण उन्हें इलाज नहीं मिल पाता। डायबिटीज से ग्रस्त ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले गरीब और कम शिक्षित लोगों को देखभाल सबसे कम मिल पाती है।

इस अध्ययन में राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार सर्वेक्षण के वर्ष 2015-16 के आंकड़ों का उपयोग किया गया है, जिसमें 29 राज्यों एवं सात केंद्र शासित प्रदेशों के 15-49 वर्ष के 7.2 लाख से अधिक लोग शामिल थे। यह अध्ययन नई दिल्ली स्थित पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन और अन्य संस्थाओं ने मिलकर किया है।

शोधकर्ताओं ने पाया कि मधुमेह से पीड़ित 52.5 फीसद लोग अपनी बीमारी की स्थिति के बारे में जानते हैं। लगभग 40.5 फीसद लोगों ने बताया कि वे इससे नियंत्रण में रखने के लिए दवा ले रहे हैं। जबकि, कुल मधुमेह ग्रस्त लोगों में से सिर्फ 24.8 फीसद लोगों का मधुमेह नियंत्रण में पाया गया है।

मधुमेह रोगियों में से केवल 20.8 फीसद पुरुषों और 29.6 फीसद महिलाओं में ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रण में पाया गया है और वे मधुमेह नियंत्रण के लिए दवाएं ले रहे हैं। हालांकि, लगभग आधे मधुमेह पीड़ित अपने उच्च रक्तचाप की स्थिति से परिचित नहीं हैं। गोवा और आंध्र प्रदेश में ऐसे लोगों की संख्या सबसे अधिक है, जिन्हें मधुमेह का पता नहीं है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में डायबिटीज के मरीजों की संख्या कम है, पर ऐसे लोग बड़ी संख्या में हैं जो अपनी मधुमेह स्थिति से अनजान होने के साथ इलाज से भी वंचित हैं। इस अध्ययन के नतीजे शोध पत्रिका बीएमसी मेडिसिन में प्रकाशित किए गए हैं।

क्‍या है डायबिटीज

डायबिटीज जिसे सामान्यतः मधुमेह कहा जाता है। एक ऐसी बीमारी है जिसमें खून में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है। उच्च रक्त शर्करा के लक्षणों में अक्सर पेशाब आना होता है, प्यास की बढ़ोतरी होती है, और भूख में वृद्धि होती है। अमेरिका में यह मृत्यु का आठवां और अंधेपन का तीसरा सबसे बड़ा कारण बन गया है। आजकल पहले से कहीं ज्यादा संख्या में युवक और यहां तक की बच्चे भी मधुमेह से ग्रस्त हो रहे हैं। निश्चित रूप से इसका एक बड़ा कारण पिछले 4-5 दशकों में चीनी, मैदा और ओजहीन खाद्य उत्पादों में किए जाने वाले एक्सपेरिमेंट्स हैं।

डायबिटीज होने के लक्षण

डायबिटीज जिसे सामान्यत: मधुमेह कहा जाता है। डायबिटीज होने का प्रमुख कारण मीठे का अधिक सेवन होता है। बता दें कि डायबिटीज मेटाबॉलिस्म (चयापचय) संबंधी बीमारियों का एक समूह है। जिसमें लंबे समय तक हाई ब्लड सुगर का स्तर रहता है। हाई ब्लड सुगर के मरीजों के लक्षणों में अक्सर पेशाब आना होता है, प्यास की बढ़ोतरी होती है, और भूख में वृद्धि होती है। डायबिटीज एक गंभीर बीमारी है। तीव्र जटिलताओं में डायबिटीज या गंभीर स्थित में मरीज की मौत तक हो सकती है। डायबिटीज जब अधिक गंभीर हो जाती है तो इसके कई जटिल रुप दिखाई देते हैं। जिसके प्रमुख लक्षण हृदय रोग, स्ट्रोक, क्रोनिक किडनी की विफलता, पैर अल्सर और आंखों की रोशनी में भी नुकसान दिखाई देता है।

डायबिटीज के प्रकार

टाइप 1 डायबिटीज

टाइप 1 डायबिटीज बचपन में या किशोर अवस्‍था में अचानक इन्‍सुलिन के उत्‍पादन की कमी होने से होने वाली बीमारी है। इसमें इन्‍सुलिन हॉर्मोन बनना पूरी तरह बंद हो जाता है। ऐसा किसी एंटीबॉडीज की वजह से बीटा सेल्‍स के पूरी तरह काम करना बंद करने से होता है। ऐसे में शरीर में ग्‍लूकोज की बढ़ी हुई मात्रा को कंट्रोल करने के लिए इन्‍सुलिन के इंजेक्‍शन की जरूरत होती है। इसके मरीज काफी कम होते हैं।

टाइप 2 डायबिटीज

टाइप 2 डायबिटीज आमतौर पर 30 साल की उम्र के बाद धीरे-धीरे बढ़ने बाली बीमारी है। इससे प्रभावित ज्‍यादातर लोगों का वजन सामान्‍य से ज्‍यादा होता है या उन्‍हें पेट के मोटापे ककी समस्‍या होती है। यह कई बार आनुवांशिक होता है, तो कई मामलों खराब जीवनशैली से संबंधित होता है। इसमें इन्‍सुलिन कम मात्रा में बनता है या पेंक्रियाज सही से काम नहीं कर रहा होता है। डायबिटीज के 90 फीसदी मरीज इसी कैटेगिरी में आते हैं। एक्‍सरसाइज, बैलेंस्‍ड डाइट और दवाइयों से इसे कंट्रोल में रखा जा सकता है।

डायबिटीज वाले ध्यान दें

डायबिटीज के साथ जिंदगी जी रहे लोगों को गर्मियों में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। गर्मियों में शरीर में पानी की कमी (डिहाइडे्रशन) होने से रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है, जो डायबिटीज वालों के लिए समस्या पैदा कर देती है। इसलिए डायबिटीज वालों को कम-से-कम तीन लीटर पानी पीना चाहिए। ग्लूकोमीटर द्वारा नियमित रूप से रक्त में ग्लूकोज की मात्रा की जांच करें। डॉक्टर के परामर्श के अनुसार दवाओं में बदलाव करना चाहिए।

आमतौर पर ऐसा देखा गया है कि डायबिटीज से ग्रस्त व्यक्ति ब्लड शुगर को नियंत्रित नहीं कर पाते। इस कारण उनके रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है इसका मुख्य कारण है इस मौसम में शर्बत, लस्सी व शीतल पेय का सेवन अधिक होता है। आइसक्रीम, कुल्फी से ब्लड शुगर नियंत्रण में नहीं रहती। डायबिटीज वालों को फलों में जामुन, सेब, संतुलित मात्रा में तरबूज व खरबूज का सेवन करना चाहिए।

डायबिटीज के रोगी क्या करें, क्या न करें

    1. अब बात करेंगे कि डायबिटीज के रोगियों को क्या करना चाहिए और क्या नहीं। डायबिटीज के रोगियों को एक डेली रूटीन बनाना बहुत ही जरूरी है।

सुबह जल्दी उठना चाहिए।

व्यायाम के लिए समय निकलना चाहिए।

सुस्त जीवनशैली के बजाए सक्रिय जीवन शैली अपनाना चाहिए।

साइक्लिंग, जिमिंग, स्विमिंग जो भी पसंद है उसे 30-40 मिनट तक ज़रूर करने की आदत डालें।

डायबिटीज एवं हार्ट की दवाएं कभी बंद नहीं होती हैं। इसलिए मरीज दवाएं कभी नहीं छोड़ें। इन दवाओं से किडनी और लिवर पर कोई असर नहीं पड़ता है।

चालीस की उम्र के बाद शुगर की जांच, लिपिड प्रोफाइल की जांच, किडनी फंक्शन टेस्ट, लिवर फंक्शन टेस्ट, टीएमटी जांच, रेटिना की जांच जरूर कराएं।
क्या खाएं

डायबिटीज में थोड़ा और आसानी से पचने वाला भोजन करना चाहिए।

डायबिटीज में हम सारे मौसमी और रस वाले फल खा सकते हैं। ड्राय फ्रूट्स की बात करें तो अखरोट, बादाम, चिया सीड्स, मूंगफली और अंजीर भी ले सकते हैं।
अपनी डाइट में गुनगुना पानी, छाछ, जौ का दलिया और मल्टीग्रेन आटा (मिलाजुला अनाज) शामिल करें।

डायबिटीज के रोगी को दिन में सोना, मल-मूत्र आदि वेगों को नहीं रोकना चाहिए। मांसाहार, शराब और सिगरेट आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

डायबिटीज रोगी को अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए। ऐसे में वे नींबू पानी लेंगे तो यह उनकी सेहत के लिए और भी अच्छा होगा।

इन चीजों को न खाएं

डिब्बा बंद आहार,बासी खाना, फ़ास्ट फूड, जंक फूड, ज्यादा तेल-मसाले वाले भोजन नहीं खाना चाहिए। इन आयुर्वेदिक उपचारों का पालन करके आप हेल्दी रह सकते हैं।

हृदय और किडनी रोग के लिए है जिम्मेदार

पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन से जुड़े डॉ आशीष अवस्थी ने बताया कि मधुमेह भारत प्रमुख चुनौती है। यह हृदय रोगों के कारण होने वाली मौतों और किडनी की बीमारियों का भी एक बड़ा कारण है। सीमित जागरूकता, उपचार और नियंत्रण गतिविधियों को देखते हुए प्राथमिक स्तर पर इस बीमारी की रोकथाम और नियंत्रण के उपाय किए जाने चाहिए। इससे रोगियों की संख्या कम करने में मदद मिलेगी।