गणेश चतुर्थी 2018 पर कुछ विशेष।

गणेश चतुर्थी 2018 पर कुछ विशेष।

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गणेश चतुर्थी (Ganesha Chaturthi) के दिन बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्‍य के देवता भगवान गणेश का जन्‍म हुआ था। इस पर्व को देश भर में खास तौर से महाराष्‍ट्र और मध्‍य प्रदेश में बेहद उत्‍साह के साथ मनाया जाता है। 10 दिन तक चलने वाला यह उत्‍सव गणेश चतुर्थी से शुरू होकर अनंत चतुर्दशी के दिन समाप्‍त होता है।

गणेश चतुर्थी के दिन भक्‍त प्‍यारे बप्‍पा (Ganpati Bappa) की मूर्ति को घर लाकर उनका सत्‍कार करते हैं। फिर 10वें दिन यानी कि अनंत चतर्दशी (Ananta Chaturdashi) को विसर्जन के साथ मंगलमूर्ति भगवान गणेश को विदाई जाती है। साथ ही उनसे अगले बरस जल्‍दी आने का वादा भी लिया जाता है।

हिन्‍दू मान्‍यताओं के अनुसार भाद्रपद यानी कि भादो माह की शुक्‍ल पक्ष चतुर्थी को भगवान गणेश का जन्‍म हुआ था। उनके जन्‍मदिवस को ही गणेश चतुर्थी कहा जाता है।

ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह त्‍योहार हर साल अगस्‍त या सितंबर के महीने में आता है। इस बार 13 सितंबर को गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी।

हिन्‍दू धर्म में भगवान गणेश का विशेष स्‍थान है। कोई भी पूजा, हवन या मांगलिक कार्य उनकी स्‍तुति के बिना अधूरा है। हिन्‍दुओं में गणेश वंदना के साथ ही किसी नए काम की शुरुआत होती है। यही वजह है कि गणेश चतुर्थी यानी कि भगवान

गणेश के जन्‍मदिवस को देश भर में पूरे विधि-विधान और उत्‍साह के साथ मनाया जाता है। महारष्‍ट्र और मध्‍य प्रदेश में तो इस पर्व की छटा देखते ही बनती है।

सिर्फ चतुर्थी के दिन ही नहीं बल्‍कि भगवान गणेश का जन्‍म उत्‍सव पूरे 10 दिन यानी कि अनंत चतुर्दशी तक मनाया जाता है।

गणेश चतुर्थी का सिर्फ धार्मिक और सांस्‍कृतिक महत्‍व ही नहीं है बल्‍कि यह राष्‍ट्रीय एकता का भी प्रतीक है। छत्रपति शिवाजी महाराज ने तो अपने शासन काल में राष्ट्रीय संस्कृति और एकता को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक रूप से गणेश पूजन शुरू किया था।

लोकमान्य तिलक ने 1857 की असफल क्रांति के बाद देश को एक सूत्र में बांधने के मकसद से इस पर्व को सामाजिक और राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाए जाने की परंपरा फिर से शुरू की।

10 दिनों तक चलने वाले गणेश उत्‍सव ने अंग्रेजी शासन की जड़ों को हिलाने का काम बखूबी किया।