जानने के लिए पढे क्यों हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी भावुक?

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‘आजाद हिंद सरकार’ की 75वीं जयंती पर पीएम मोदी ने लाल किले से फहराया झंडा फहराया। इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी काफी भावुक हुए ।

उन्होंने भावुक होते हुए अपने कुछ चंद शब्द के जरिए जनता को संबोधित किया कि, मैं मानता हूं कि कानूनी वजहों से कुछ वर्ष काम रुका लेकिन पहले की सरकार की इच्छा होती, उसने दिल से प्रयास किया होता, तो ये मेमोरियल कई वर्ष पहले ही बन गया होता।

सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व वाली ‘आजाद हिंद सरकार’ की 75वीं जयंती पर पीएम मोदी ने लाल किले से झंडा फहराया। ये मौका इसलिए भी खास है क्योंकि अब तक देश के प्रधानमंत्रियों द्वारा केवल 15 अगस्त को ही लाल किले पर झंडारोहण किया जाता रहा है। कार्यक्रम में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे।

इस मौके पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिवार के लोग भी शामिल हुए थे। कार्यक्रम की शुरुआत से पहले पीएम मोदी ने राष्ट्रीय पुलिस स्मारक का भी उद्घाटन किया।

गौरतलब है कि आजाद हिंद सरकार का गठन 21 अक्टूबर 1943 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में किया गया था। यह लड़ाई अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ थी।

कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा- ‘यह मेमोरियल पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स के योगदान की याद दिलाएगा, देश की सुरक्षा में शहीद हुए सभी जवानों के परिवार को नमन करता हूं।’ उन्होंने कहा- आज उन शहीदों को याद करने दिन है, जिन्होंने देश के लिए सबकुछ समर्पित कर दिया।

पीएम ने कांग्रेस सरकार पर भी निशाना साधा और कहा कि पुरानी सरकारों ने बलिदान देने वाले सैनिकों के प्रति बेरुखी दिखाई है। जवानों की शहादत को याद करते हुए पीएम भावुक हो उठे थे।

पीएम ने कहा कि जिन जवानों ने आपदा प्रबंधन में लोगों की जान बचाई है, उन्हें हर साल 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर सम्मान दिया जाएगा।

पीएम मोदी ने कहा- मैं मानता हूं कि कानूनी वजहों से कुछ वर्ष काम रुका लेकिन पहले की सरकार की इच्छा होती, उसने दिल से प्रयास किया होता, तो ये मेमोरियल कई वर्ष पहले ही बन गया होता। उन्होंने कहा- पहले की सरकार ने आडवाणी जी द्वारा स्थापित पत्थर पर धूल जमने दी।

2014 में जब फिर NDA की सरकार बनी तो हमने बजट आवंटन किया और आज ये भव्य स्मारक देश को समर्पित की जा रही है। ये हमारी सरकार के काम करने का तरीका है। आज समय पर लक्ष्यों को प्राप्त करने की कार्य संस्कृति विकसित की गई है।

आज मैं उन माता पिता को नमन करता हूं जिन्होंने नेता जी सुभाष चंद्र बोस जैसा सपूत देश को दिया। मैं नतमस्तक हूं उन सैनिकों और परिवारों के आगे जिन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई में खुद को न्योछावर कर दिया।

आजाद हिन्द सरकार सिर्फ नाम नहीं था, बल्कि नेताजी के नेतृत्व में इस सरकार द्वारा हर क्षेत्र से जुड़ी योजनाएं बनाई गई थीं। इस सरकार का अपना बैंक था, अपनी मुद्रा थी, अपना डाक टिकट था, अपना गुप्तचर तंत्र था।

पीएम मोदी ने कहा- नेताजी का एक ही उद्देश्य था, एक ही मिशन था भारत की आजादी। यही उनकी विचारधारा थी और यही उनका कर्मक्षेत्र था। भारत अनेक कदम आगे बढ़ा है, लेकिन अभी नई ऊंचाइयों पर पहुंचना बाकी है।

इसी लक्ष्य को पाने के लिए आज भारत के 130 करोड़ लोग नए भारत के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं। एक ऐसा नया भारत, जिसकी कल्पना सुभाष बाबू ने भी की थी।

कैम्ब्रिज के अपने दिनों को याद करते हुए सुभाष बाबू ने लिखा था कि – हम भारतीयों को ये सिखाया जाता है कि यूरोप, ग्रेट ब्रिटेन का ही बड़ा स्वरूप है। इसलिए हमारी आदत यूरोप को इंग्लैंड के चश्मे से देखने की हो गई है।

आज मैं निश्चित तौर पर कह सकता हूं कि स्वतंत्र भारत के बाद के दशकों में अगर देश को सुभाष बाबू, सरदार पटेल जैसे व्यक्तित्वों का मार्गदर्शन मिला होता, भारत को देखने के लिए वो विदेशी चश्मा नहीं होता, तो स्थितियां बहुत भिन्न होती।

पीएम मोदी ने कहा- ये भी दुखद है कि एक परिवार को बड़ा बताने के लिए, देश के अनेक सपूतों, वो चाहें सरदार पटेल हों, बाबा साहेब आंबेडकर हों, उन्हीं की तरह ही, नेताजी के योगदान को भी भुलाने का प्रयास किया गया। देश का संतुलित विकास, समाज के प्रत्येक स्तर पर, प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्र निर्माण का अवसर, राष्ट्र की प्रगति में उसकी भूमिका, नेताजी के वृहद विजन का हिस्सा थी।

आजादी के लिए जो समर्पित हुए वो उनका सौभाग्य था, हम जैसे लोग जिन्हें ये अवसर नहीं मिला, हमारे पास देश के लिए जीने का, विकास के लिए समर्पित होने का मौका है।

चुनौती देने वालों को दोगुनी ताकत से जवाब मिलेगा। अब हालात को हम बदल रहे हैं। हमें दूसरों की जमीन की चाहत नहीं है। महिलाओं को बराबरी देने की नींव नेताजी ने ही रखी थी।

स्वदेशी चश्मे से भारत को देखते तो हालात कुछ और होते। लाखों बलिदान देने के बाद स्वराज की प्राप्ति हुई थी। ये हमारी जिम्मेदारी है कि स्वराज को सूरज की तरह संभाल कर रखें।