देश बेचना है या देश बचाना है।

देश बेचना है या देश बचाना है।

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देश बेचना है या देश बचाना है

चीन और फाईज़र कम्पनी के षडयन्त्र को मात्र एक आदमी ने लंगड़ी लगा कर किया चित्त। और अन्तराष्ट्रीय दवा लाबी का चीन के साथ मिल कर रचे गये कोरोना षडयन्त्र और वैक्सीन का धन्धा फ्लाप हो गया।

फाईज़र के वैक्सीन कीएक शॉट की अमेरिका में कीमत है 1500 रु, लेकिन भारत में इसकी कीमत है 2500 रु। दो शॉट की कीमत 5000 रुपये।

भारत की आबादी 1,30,00,00,000 यानी फाईज़र का सपना है 1,30,00,00,000×5,000=65,00,00,00,00,00,000 रुपये या लगभग 92.5 बिलियन डॉलर सिर्फ भारत से कमाना।

लेकिन भारत ने वेकसीन बना कर 92.5 बिलियन डॉलर की लात मारी है फाईज़र को और चीन के साझा उपक्रम पर जिसकी सिफारिश भारत में किसने की थी …. उनकी बुद्धि का विलोम हो गया है। सभी जानते हैं।

समय मिलते ही फिर पंजाब, राजस्थान और महाराष्ट्र सरकारों ने फाईज़र को सीधा आर्डर दिया जो केन्द्र के कारण निरस्त हो गया।

अब समझ आया देश बेचने का खेला किस पार्टी का? फिर भी चमचे चाटे जा रहे हैं……

कोरोना की सबसे बड़ी दवाई तो टूलकिट निकली !!!

टूलकिट के सामने आते ही, केवल सामने आते ही

– दवाइयों का अभाव समाप्त हो गया – कालाबाजारी समाप्त हो गयी

– रेमडिसिविर की माँग समाप्त हो गयी

– पूरे देश में ऑक्सीजन की कमी दूर हो गयी। अब ऑक्सीजन की कोई पूछ ही नहीं रहा।

– देश में लगभग 50% ICU बेड खाली हो गये। अभी दस दिन पहले देश में ऐसे 10,000 से अधिक बेड की कमी थी।

– गंगा में भगवा कपड़े में लिपटी लाशें बहनी बंद हो गयीं

– जलती चिता की चर्चा पर विराम लग गया

 – श्मशान से हो रही पत्रकारिता खो गयी

– कोरोना से हुई मौत का दिन-रात का प्रसारण बन्द हो गया

– मौत पर अनवरत चल रही राजनीति शांत हो गयी।

यही नहीं, WHO को भी ज्ञान प्राप्त हो गया और WHO ने रेमडिसिविर को कोरोना के इलाज से ही हटा दिया।

उल्लेखनीय है कि रेमडिसिविर पहले भी कोरोना की दवाई नहीं थी, फिर ऐसा क्या किया गया कि रेमडिसिविर की लाखों, करोड़ों डोज मुँहमाँगी कीमत पर बिकी और इसी रेमडिसिविर के कारण अनेकानेक लोग मृत्यु को प्राप्त हुए।

टूलकिट के सामने आते ही, केवल सामने आते ही देश की लगभग सभी मीडिया मौन हो गये

एक बात तो स्पष्ट है कि जब तक टूलकिट सामने न था, संकट चरम पर था।

टूलकिट के सामने आते ही संकट नियंत्रण में है।

पहचाने मौत के सौदागर कोन ?