नेपाल में चीनी राजदूत की दखलंदाजी अब नहीं चलेगी। नया कानून लागू...

नेपाल में चीनी राजदूत की दखलंदाजी अब नहीं चलेगी। नया कानून लागू करने की तैयारी।

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नेपाल में चीनी राजदूत की दखलंदाजी अब नहीं चलेगी। नया कानून लागू करने की तैयारी।


नेपाल के प्रधानमंत्री चीनी राजदूत के साथ

नेपाल की राजनीति में चीन का दखल किसी से छिपा नहीं है। चीनी राजदूत होउ यांगकी (Hou Yanqi) नेपाल में काफी सक्रिय हैं और बेरोक-टोक नेताओं से मुलाकात करती रहती हैं। माना जाता है कि भारत के साथ काठमांडू के सीमा विवाद में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई थी। हालांकि, अब शायद उनके लिए नेपाल की राजनीति में दखल देना उतना आसान न रहे।

नेपाल में बीजिंग के बढ़ते दखल को लेकर हुए विरोध के मद्देनजर सरकार ने विदेशी राजनयिकों के लिए नियमों में बदलाव करने का फैसला किया है। नेपाल के अखबार ‘काठमांडू पोस्ट’ के मुताबिक, विदेश मंत्रालय डिप्लोमैटिक कोड ऑफ कंडक्ट बदलाव करने जा रहा है। नए कानून के तहत किसी भी विदेशी राजनयिक को किसी भी नेता से सीधे मुलाकात करने की इजाजत नहीं होगी। इसके लिए दूसरे देशों की तरह एक तय प्रक्रिया का पालन करना होगा।

Amid criticism for its failure to monitor the frequent meetings between the political leadership and foreign diplomats, the Ministry of Foreign Affairs is once again working to revise and reactivate its diplomatic code of conduct। — The Kathmandu Post (@kathmandupost) ।

बार-बार मुलाकात पर उठे थे सवाल

अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है कि सियासी संकट के दौरान विदेशी राजनयिकों की सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के नेताओं के साथ हुई बार-बार मुलाकात को लेकर सवाल उठे थे। इसी के मद्देनजर विदेश मंत्रालय ने डिप्लोमैटिक कोड ऑफ कंडक्ट में बदलाव का फैसला लिया है।

मालूम हो कि नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की कुर्सी बचाने के लिए चीनी राजदूत होउ यांगकी ने जमीन-आसमान एक कर दिया था। उन्होंने हर वह संभावना तलाशी जिससे ओली को कुर्सी न गंवानी पड़े और वह अपने मिशन में कामयाब भी रहीं। यांगकी ने राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी तक से सीधे मुलाकात की थी।