करें मधुमेह का घरेलू उपचार, होगी जड़ से खत्म

करें मधुमेह का घरेलू उपचार, होगी जड़ से खत्म

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मधुमेह और घरेलू उपचार

मधुमेह चयापचयी विकारों से पनपने वाला रोग है जो शरीर की इन्सुलिन पैदा करने या इन्सुलिन का उपयोग करने की क्षमता को प्रभावित करता है। तेजी से बदल रहे परिवेश और रहन-सहन ने देश और दुनिया में मधुमेह के मरीजों की संख्या में इजाफा किया है। हालांकि खान-पान पर नियंत्रण कर व कुछ घरेलू उपचार व नुस्खों की मदद से इस रोग का सामना किया जा सकता है। चलिये जानें कैसे…..
Image courtesy: © Getty Images

तुलसी के पत्ते

तुलसी के पत्तों में काफी एन्टीऑक्‍सीडेंट व बाकी जरूरी तत्व मौजूद होते हैं जो इजिनॉल, मेथिल इजिनॉल और कैरियोफ़ैलिन बनते हैं। ये सारे तत्व मिलकर इन्सुलिन जमा करने वाली और छोड़ने वाली कोशिकाओं को ठीक से काम करने में मदद करते हैं। अतः शुगर के स्तर को कम करने के लिए रोज दो से तीन तुलसी के पत्ते खाली पेट लें। आप इसका जूस भी ले सकते हैं।
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गेहूं के जवारे

गेहूं के पौधों में रोगनाशक गुण समाए होते हैं। गेहूं के छोटे-छोटे पौधों का रस असाध्य बीमारियों को भी मिटा सकता है। इसके रस को ग्रीन ब्लड के नाम से भी जाना जाता है। गेहूं के जवारे का आधा कप ताजा रस रोगी को रोज सुबह-शाम पिलाने से डायबिटीज में लाभ होता है।
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मेथी

मधुमेह के उपचार के लिए मेथीदाने के प्रयोग भी लाभदायक होता है। यदि कारण है कि दवा कंपनियां भी मेथी के पावडर को बाजार में लाई हैं। उपयोग के लिए मेथीदानों का चूर्ण बना लें और रोज सुबह खाली पेट दो टी-स्पून चूर्ण पानी के साथ फंकी कर लें। कुछ दिनों में आपको लाभ महसूस होने लगेगा।

अलसी के बीज (फ्लेक्स सीड)

अलसी के बीजों में फाइबर प्रचर मात्रा में पाया जाता है जो पाचन में तो मदद करता ही है साथ ही फैट और शुगर के अवशोषण में भी सहायक सिद्ध होता है। अलसी के बीजों के आटे के सेवन से मधुमेह के मरीजों में शुगर की मात्रा लगभग 28 प्रतिशत तक कम हो सकती है।

दालचीनी

दालचीनी इंसुलिन की संवेदनशीलता को ठीक करने के साथ-साथ ब्लड ग्लूकोज के स्तर को भी कम करता है। आधी चम्मच दालचीनी रोज लेने से इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता को ठीक किया जा सकता है और वज़न को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।

ग्रीन टी

ग्रीन टी में पॉलीफिनोल्स काफी होते हैं। ये पॉलीफिनोल्स एक मजबूत एंटी-ऑक्सीडेंट और हाइपो-ग्लाइसेमिक तत्व होते हैं, इससे ब्लड शुगर को मुक्त करने में सहायता मिलती है और शरीर इन्सुलिन का बेहतर ढंग से इस्तेमाल कर पाता है।

नीलबदरी के पत्ते

आयुर्वेद में नीलबदरी के पत्ते का उपयोग मधुमेह के उपचार में सदियों से होता रहा है। जर्नल ऑफ न्यूट्रीशन के मुताबिक इसकी पत्तियों में एंथोसियानीडीनस काफी मात्रा में होते हैं जो चयापचय की प्रक्रिया और ग्लूकोज़ को शरीर के विभिन्न भागों तक पहुंचाने की प्रक्रिया को बेहतर करता है।
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सहजन के पत्ते

सहजन के पत्तों को मोरिंगा भी कहा जाता है। इसके पत्तों में दूध की तुलना में चार गुना अधिक कैलशियम और दो गुना प्रोटीन पाया जाता है। मधुमेह के रोगियों द्वारा सहजन के पत्तों के सेवन से भोजन के पाचन को बेहतर और रक्तचाप को कम करने में मदद मिलती है।

करेला

करेले में इन्सुलिन-पोलिपेपटाइड पाया जाता है, साथ ही ये एक ऐसा बायो-कैमिकल तत्व है जो ब्लड-शुगर को कम करने में कारगर है। इसीलिये प्राचीन काल से करेले को मधुमेह की औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। एक सप्ताह में कम से कम एक बार करेले की सब्जी खाएं। बेहतर परिणामों के लिए खाली पेट करेले का जूस पियें।