क्या मोदी सरकार के इस फार्मूले से पड़ेगे पेट्रोल-डीजल के दामों पर...

क्या मोदी सरकार के इस फार्मूले से पड़ेगे पेट्रोल-डीजल के दामों पर असर?

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सरकार अगर पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कम को कम करती है तो भी ज्यादा से ज्यादा 2 रुपए की कटौती होगी।

डॉलर के मुकाबले गिरते रुपये और कच्चे तेल की ऊंचाई ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आग लगा रखी है। पेट्रोल-डीजल की कीमतें रिकॉर्ड हाई पर हैं। तेल कंपनियां लगातार दाम में इजाफा कर रही हैं।

पहली बार दिल्ली में पेट्रोल के दाम 80 रुपए को पार कर गए हैं। वहीं, डीजल 72।61 रुपए प्रति लीटर के रिकॉर्ड हाई पर है। पिछले 1 महीने में पेट्रोल-डीजल करीब 5 रुपए महंगा हो चुका है।

एक्साइज ड्यूटी में कटौती की मांग से लेकर टैक्स हटाने तक मांग हो रही है। जीएसटी में पेट्रोल-डीजल को लाने पर विचार हो रहा है। लेकिन, निर्णय कुछ नहीं निकला है।

सरकार भी पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर चिंतित है, लेकिन एक्साइज ड्यूटी घटाना या टैक्स हटाने से सरकार को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।

सरकार अगर पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कम को कम करती है तो भी ज्यादा से ज्यादा 2 रुपए की कटौती होगी। लेकिन, सरकार इसके दीर्घकालिक उपाय तलाश रही है।

दरअसल, एक्साइज ड्यूटी घटाने से चालू खाते का घाटा लक्ष्य से ऊपर निकल सकता है। साथ ही वित्तीय घाटा भी बढ़ सकता है। इसलिए सरकार 2 रुपए की कटौती के बजाए कुछ बड़ा विकल्प तलाश रही है। जिससे पेट्रोल-डीजल काफी सस्ता हो सकता है।

मोदी सरकार पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम का लॉन्ग टर्म सॉल्यून ढूंढ रही है। सूत्रों के मुताबिक, पीएम मोदी ने इसका एक सुझाव दिया है। तेल कंपनियों के दाम बढ़ाने को रोकने के लिए यह फॉर्मूला कारगर साबित हो सकता है।

दरअसल, सरकार तेल उत्पादक कंपनी ओएनजीसी पर विंडफॉल टैक्स लगाने की तैयारी कर रही है। इससे पेट्रोल-डीजल के दाम में बड़ी कटौती संभव है। लेकिन, सवाल यह है कि क्या ये फॉर्मूला काफी होगा पेट्रोल-डीजल सस्ता करने के लिए?

सीनियर एनालिस्ट अरुण केजरीवाल के मुताबिक, विंडफॉल टैक्स में भारतीय तेल उत्पादक कंपनियों के लिए कच्चे तेल की कीमत 70 डॉलर प्रति बैरल तक सीमित की जा सकती है।

उन्होंने बताया कि अगर यह योजना अमल में लाई जाती है तो भारतीय ऑयल फील्ड से तेल निकाल कर उसे अंतरराष्ट्रीय दरों पर बेचने वाली तेल उत्पादक कंपनियां अगर 70 डॉलर प्रति बैरेल की दर से ज्यादा पर पेट्रोल बेचती हैं, तो उन्हें आमदनी का कुछ हिस्सा सरकार को देना होगा। इससे पेट्रोल-डीजल की कीमतें नियंत्रित हो सकेंगी।

विंडफॉल टैक्‍स एक तरह का विशेष तेल टैक्‍स है। इससे मिलने वाले रेवेन्‍यू का फायदा फ्यूल रिटेलर्स को दिया जाएगा, जिससे वह कीमतों में बढ़ोत्‍तरी को अब्‍जॉर्ब कर सके।

कंज्‍यूमर को तत्‍काल राहत देने के लिए सरकार विंडफॉल टैक्‍स लगा सकती है। विंडफॉल टैक्‍स दुनिया के कुछ विकसित देशों में प्रभावी है।

यूके में 2011 में तेल की कीमतें 75 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जाने पर टैक्‍स रेट बढ़ा दिया गया, जो नॉर्थ सी ऑयल और गैस से मिलने वाले प्रॉफिट पर लागू हुआ था। इसी तरह चीन ने 2006 में घरेलू तेल प्रोड्यूसर्स पर स्‍पेशन अपस्‍ट्रीम प्रॉफिट टैक्‍स लगाया।

सूत्रों के अनुसार, मोदी सरकार विंडफॉल टैक्‍स को तेल कीमतों में तेजी को काबू में रखने के एक स्‍थायी समाधान के विकल्‍प के रूप में देख रही है।

सरकार की तरफ से यह टैक्‍स सेस के रूप में लगाया जा सकता है और तेल की कीमतें 70 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर जाने पर यह देना होगा।

तेल कंपनियों पर टैक्स और एक्साइज ड्यूटी में कटौती के अलावा, सरकार राज्यों से भी वैट और सेल्स टैक्स में कटौती करने को लेकर कह सकती है। पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से परेशान लोगों को इन कदमों से तत्काल थोड़ी राहत मिलने का अनुमान है।

सरकारी और निजी दोनों तरह की पेट्रोल उत्पादक कंपनियों को सेस लगाने की सोच रही है। कुल मिलाकर ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इन सबको मिलाकर पेट्रोल की कीमतों में 5-7 रुपए की कटौती हो सकती है। हालांकि, यह सिर्फ एक अनुमान है, अभी सरकार की तरफ से ऐसा कोई कटौती निर्धारित नहीं की गई है।