लिव इन रिलेशनशिप पर मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने सुनाया बड़ा फ़ैसला।

लिव इन रिलेशनशिप पर मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने सुनाया बड़ा फ़ैसला।

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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप के एक केस में अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि लिव-इन में रहने का मतलब सेक्स के लिए महिला की सहमति नहीं है।

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप के एक मामले में अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि लिव-इन रिलेशनशिप में रहने का मतलब सेक्स के लिए महिला की सहमति हरगिज नहीं है।

जस्टिस सुशील कुमार ने कहा कि अगर कोई युवती लिव-इन में रह रही है तो इसका यह मतलब हरगिज नहीं है कि वह सेक्स के लिए भी राजी हो। किसी बात को छुपाकर या फिर धोखे से सेक्स के लिए महिला को राजी करना रेप के दायरे में रखा जा सकता है।

दरअसल अदालत ने लिव-इन में रहने के दौरान एक शख्स के महिला को शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाने और बाद में मुकरने के मामले में यह टिप्पणी की थी। पीड़िता का आरोप है कि उन दोनों की सगाई हो गई थी।

दोनों लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे थे। शादी की बात कहकर आरोपी ने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए और फिर बाद में वह शादी से मुकर गया। आरोपी ने धीरे-धीरे कर उससे दूरी बना ली।

पीड़िता की शिकायत पर कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ केस दर्ज करने के आदेश दिए थे। आरोपी केस रद्द कराने की मांग को लेकर हाईकोर्ट पहुंचा था।

मामले को सुनते हुए कोर्ट ने कहा कि शादी की बात कहकर शारीरिक संबंध बनाकर शादी से मुकरने पर रेप का मामला बनता है। लिव-इन में रहने वाले लोगों पर भी यह नियम लागू होता है।

आरोपी की केस रद्द करने की याचिका को खारिज करते हुए जस्टिस सुशील कुमार ने एक केस का जिक्र करते हुए कहा, ‘महिला का शरीर पुरुषों के लिए कोई खेलने की वस्तु नहीं है। पुरुष महिला को बेवकूफ बनाकर अपनी हवस को मिटाने के लिए उसका फायदा नहीं उठा सकते।